संक्षिप्त परिचय

नाम - अशोक कुमार तिवारी
पिता - स्व. कुंजलाल तिवारी
पता - 10, रो हाउस, सेक्टर-1, लोकमान्य सोसायटी, रोहिणीपुरम, रायपुर
फोन नं. - 093007-88260
ई मेल - aktigrms @gmail.com
जन्म तिथि - 21.09.1952
जन्म स्थान - ग्राम चचेड़ी (जिला-कवर्धा)

शैक्षणिक योग्यता -
1- मानव विज्ञान में रविशंकर विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर उपाधि
2- संग्रहालय विज्ञान में राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली से प्रमाण पत्र कोर्स
3- यार्क विश्व विद्यालय, इंग्लैड से संरचना संरक्षण पर कोलंबों प्लान के अंतर्गत ब्रिटिश सरकार द्वारा छात्रवृत्ति प्राप्त कर विशेष अध्ययन

वर्तमान स्थिति - क्यूरेटर पद से वर्ष 2012 में सेवानिवृत्त

कार्य अनुभव -
40 वर्षों से संस्कृति एवं संग्रहालय के क्षेत्र में कार्यरत्। जगदलपुर तथा मैसूर में आंचलिक मानव विज्ञान संग्रहालयों की स्थापना के पश्चात् इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, भोपाल में 30 वर्ष सेवारत रहकर इस राष्ट्रीय संग्रहालय की स्थापना तथा विकास एवम् परिपूर्णता में प्रमुख कर्मी के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका का निवर्हन।
पूरे देश के लगभग सभी राज्यों के लोक-जनजातीय समाज के मध्य क्षेत्र कार्य तथा उनकी समाज एवं संस्कृति को जानने समझने का प्रयास किया, जिसके आधार पर प्रदर्शनियों एवम् संस्कृति पर विविध कार्य योजनाओं का सृजन एवम् संपादन/विशेष तथा सामयिक प्रकाशनों का लेखन, प्रकाशन/संपादन।
छत्तीसगढ़ शासन के संस्कृति विभाग में सेवानिवृत्ति पश्चात लगभग 2 वर्षों से छत्तीसगढ़ शासन के पुरातत्व एवं संस्कृति संचालनालय के विविध प्रकल्पों में कार्य करते रहने के दौरान राज्य की संस्कृति पर संचालित किये जा रहे कार्यों में नवाचार वैविदयपूर्ण गतिविधियों का सृजन संपादन एवम् आवश्यकतानुरूप उद्देश्य पूर्ति हेतु विविध संस्थाओं की स्थापना के क्षेत्र में विशेष भूमिका का निवर्हन।
इंदिरागांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, भोपाल में अपनी सेवा अवधि के दौरान इस संग्रहालय के पूर्ण आकार लेने की संपूर्ण कार्यवाही में सक्रिय योगदान जिसमें आयोजन, संकलन, परीक्षण, प्रलेखन, प्रकाशन, प्रदर्शन आदि पक्ष सम्मिलित है। इसमें विशेष दक्षता के साथ सांस्कृतिक प्रशासन के क्षेत्र में लगभग 25 वर्षों का अनुभव।
छत्तीसगढ़ में जन्म तथा शिक्षा और कालान्तर में एक संस्कृति कर्मी होने के नाते अपनी मातृ संस्कृति एवं मातृ भाषा के संरक्षण, विकास और लोकप्रियकरण की विशेष इच्छा शक्ति के कारण राज्य के सांस्कृतिक परिदृश्य को गहनता से समझने एवं राज्य की संस्कृति के विभिन्न प्रतिमानों को संकलित, प्रलेखित, संरक्षित एवं प्रदर्शित करने हेतु नवाचारी कदमों के सृजन करते हुये राज्य में नवीन संग्रहालीयन तथा सांस्कृतिक संरक्षण आंदोलन हेतु कृत संकल्पित।
मातृभाषा छत्तीसगढ़ी के अतिरिक्त हिन्दी, अंग्रेजी में लिखने पढ़ने बोलने की दक्षता के साथ ही बंगला, कन्नड़, मलयालम, हलबी आदि कतिपय अन्य भाषाओं का बोलचाल स्तर का ज्ञान।
कला एवम् संस्कृति जिसमें शास्त्रीय, लोक तथा जनजातीय सभी पक्ष समाहित है, के क्षेत्र में संकल्पना एवम् प्रतिबद्धता के साथ कार्य करने की इच्छा शक्ति से अभी भी सोत्साह कार्यरत। हालही के दिनों में संस्कृति संचालनालय, छत्तीसगढ़ के महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय में एक पूर्ण पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजन आस्वाद केन्र्स ‘‘गढ़ कलेवा’’ की स्थापना, जिसके लिए उसकी आयोजना, डिजाईनिंग, निर्माण एवं संचालन से संबंधित समस्त कार्यों की रूपरेखा तैयार करना एवं संपूर्ण कार्यांवयन का संपादन।
वर्तमान में पुरखौती मुक्तांगन में बस्तर प्रखंड नामक वृहद मुक्ताकाश प्रदर्शनीय का संयोजन जिसके लिये बस्तर क्षेत्र के 200 से भी अधिक पारंपरिक कलाकारों एवं कारीगरों के सहयोग से लगभग एक दर्जन प्रादर्शों का निर्माण।
अपने गृह राज्य में नवीन संग्रहालय आंदोलन एवं सांस्कृतिक अस्मिता के क्षेत्र में संकल्पित कार्य करने की इच्छा शक्ति के साथ छत्तीसगढ़ राज्य के जनजातीय संग्रहालय की स्थापना में अपने अनुभवों का लाभ उठाते एक राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय ख्याति अर्जित करने लायक संग्रहालय की स्थापना के लिए योगदान का आकांक्षी।

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